मै किसी नई डायरी मे नहीं लिखता था
डर होता था ख़राब हो जायेगी.
फिर कॉलेज मै एक दोस्त मिला,
उसने एक डायरी दी
और मेरी चलपड़ी लिखने की।
जब तक साथ था हर साल एक डायरी देता था,
फिर नजाने क्या हुआ
हम बिछड़ गए ।
सुना है आज वो PHD हो चुका है
डॉक्टर कहलाने लगा है,
पेंटिंग मै या आर्ट हिस्ट्री मै
मुझे ये भी पता नही,
विदेश भी पढ़के आया है
और यही कही दिल्ली मै रहता है।
आज मेरी फिर चल पड़ी है लिखने की।
आज मै ब्लोग पे लिख रहा हूँ,
पर महसूस करता हूँ
ये पन्ने उसी डायरी के है ।
दोस्तो कही मिले
तो पता देना उसे मेरा,
नाम है उसका
"ऋषी"
2 comments:
Gar juda hona kismat main na hota e dost,
Yeh kafila bada lamba hota.
Isi bahane chalo yeh maloom to hua,
Khushiyon main bhi ghamon ka paiband laga hota hai.
A great gnomic and I can't help praise your skills. This diary entry is really mesmerizing.
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