23 June 2007

नई ID

आज कई दिनों बाद
एक ऐसे दोस्त का फ़ोन आया
जिसके साथ कई चीजें
संजोई थी,
आज वो बड़े ओहदे पे हैं,

उसने पूछा कैसे हो
कुछ पुरानी ताज़ा हुई
और उसने नए की
कुछ थाह ली मुझसे,
फिर हम कुछ दुनियादारी
बतियाने लगे,
बातों बातों में कहा
कुछ मुझे भी भेजा करो
अपना किया।

मैंने बहुत कुछ भेजा था
पता नहीं कहॉ गया,
अब मै सोच रहा हूँ,
क्या भेजूं ।

भेज पाऊंगा
मै उसे वो सब
जो बाटना चाहता था पहले।

आज उसने
नई ID दीं हैं,
कहा
पहले की ID सही नही थी।

1 comment:

Udan Tashtari said...

ओह!!

चलो कोई बात नहीं, अबसे आगे की सुध लो और बांटना शुरु करो. अक्सर ऐसा ही होता आया है जिन्दगी में. ID को बिम्ब स्वरुप बहुत उत्तम इस्तेमाल किया है. बधाई.