आज कई दिनों बाद
एक ऐसे दोस्त का फ़ोन आया
जिसके साथ कई चीजें
संजोई थी,
आज वो बड़े ओहदे पे हैं,
उसने पूछा कैसे हो
कुछ पुरानी ताज़ा हुई
और उसने नए की
कुछ थाह ली मुझसे,
फिर हम कुछ दुनियादारी
बतियाने लगे,
बातों बातों में कहा
कुछ मुझे भी भेजा करो
अपना किया।
मैंने बहुत कुछ भेजा था
पता नहीं कहॉ गया,
अब मै सोच रहा हूँ,
क्या भेजूं ।
भेज पाऊंगा
मै उसे वो सब
जो बाटना चाहता था पहले।
आज उसने
नई ID दीं हैं,
कहा
पहले की ID सही नही थी।
1 comment:
ओह!!
चलो कोई बात नहीं, अबसे आगे की सुध लो और बांटना शुरु करो. अक्सर ऐसा ही होता आया है जिन्दगी में. ID को बिम्ब स्वरुप बहुत उत्तम इस्तेमाल किया है. बधाई.
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