14 August 2007

मेरी कविता

किसी ने कहा
बहुत बुरा लिखते हो
मुझे अच्छा नही लगता
सब रबिश हैं।

मेने कहा
क्या करूं
कुछ और हैं ही नही
इसके सिवा,
सारे लोग
नाता तोड़ गए।
मुझे भी तो चाहिऐ
कोई अपना सा,
जिससे में
ख़ुशी बाटू,
लडू ,
नाराज़ हो जाऊ,
मना लू उसे
और जरुरत पडे तो
रख सकू सर
उसके काँधे पे।

हैं एक रिश्ता
मेरे पास
इसे मत छीनो
मुझसे
वो हैं
मेरी कविता

6 comments:

Anonymous said...

bahut sunder bus itna hee kafii hae

Anonymous said...

This was Best Katra...

Kisi Ko achchi na Lage to Use Reply Bhejna

"राज़ी है उसमे,
जिसमे तेरी रज़ा है.
तेरे बिन भी वाह वाह है,
तेरे साथ भी वाह वाह है"

Yatish you are not writing for anyone, Continue doing what, satisfy you.

Kuch Log Tera Gum Baant Nahin sakte magar Badane aa jaate hain

Aaj Ke Time Mein Jo Ruk Gaya
Samjho Woh Mar Gaya
Carry on...

Shastri JC Philip said...

क्या गजब की बात कही है आप ने. लिखते रहें -- शास्त्री जे सी फिलिप

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info

Anonymous said...

Yatish,

You love your Kavita like Deewana love His Laila. Lagta Hai Deewangi Ki Hud Tak...I can make out from this latest Katra "MERI KAVITA"

"Deewano Ki Kami Nahin Gaalib
Ek Dhoondho Ge Hazaar Mileinge
Na bhi Dhoondho ge to
Hamare Jaise Do Chaar Milenge"

Jo Maja Intzaar Mein
Woh Deedare yaar Mein Kahan...

I am waiting for your next Kavita...

carry on

from Tumhari Pyari
"Kavita" Don't Forget me...ub

SURJEET said...

Well versed and nicely explained emotions. I hope you will soon find what you are looking for!

Udan Tashtari said...

सच है कविता से ऐसा ही रिश्ता एक सच्चे कवि का परिचय है, इसे आपसे कोई नहीं छीन सकता. आप निश्चिंत हो रचते चलें. शुभकामनायें. बहुत बढ़िया दिल से उठी रचना के लिये बधाई.