25 May 2007

आजादी

आजादी ढूड रहा था शब्दों मै ,
कि एक अजनबी दोस्त ने रौशनी दी ,
अपने बच्चों कि हँसी मै है आजादी ।
शुक्रिया ...
बहुत कुछ मिलगया जो मेरे पास ही था ।

2 comments:

Rachna Singh said...

azadi man mae ho to hee azadi hae
azadi mansae ho to hee azadi hae
jab khonae ka dar na ho toh hee azadi hae
jab panae kee zarorat na rahae to hee azadi hae

renu ahuja said...

म्रूग ढूंढता रहा वन वन,
खुद ही मे लिये कस्तूरी गंध
पह्चानने की मंशा आत्म से परे थी
इसीलिए भटकन, मृगतृष्णा ही रही.
संयम और साहस का संगम आज़ादी
-रेणू.