क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra
कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा...
25 May 2007
बडे दिनों बाद
मै तो अब हँसने भी लगी हूँ और मजाक भी कर लेती हूँ ,
देखो मैंने चार मजाक कर लिए बातो बातो मै
क्या तुम्हें पता लगा ?
तुम्हें पता भी नही लगा ...
हाँ मुझे पता लग गया जिंदगी के मजाक का
जिसे मै सीरियसली ले रहा हूँ
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