30 August 2007

खाली है पोस्ट

आज कोई नही आया
आज किसी ने नही छोड़े
अपने निशाँ,
ये जो कोने मे
नीचे बैठा है जीरो
comments का,
चिडा रहा है मुझे.

मैं भी बड़ा सियाना हूँ
एक को दस गिनता हूँ
क्यों के बहुत से लोग
लिखते नही है
या उन्हें आदत नही है,
ऐसा मेरा रिसर्च है
पर इस जीरो का मैं क्या करूँ
इसमे कितने जोडू
ये हस रहा है मुझपे
कह रहा है
क्या जोड़ेगा इस जीरो मे
बेईमान आज

सब दबे पाँव निकल गए आज
खाली है पोस्ट...

10 comments:

विपुल जैन said...

In my experience people with moderation enabled have less comments

mamta said...

अरे आप निराश क्यों होते है। हौसला बनाए रक्खे।
और लिखते रहें।

Anonymous said...

Yatish, Saara Masla
is SHUNYA ka hai...

Har cheej mein 0(zero)
gol shunya anda milega...

is ande se phir
ek Katra niklega...

Us Katre se phir
ek Katra Judega...

Aur Katra Katra badta jaayega
Shunya na hota to app aur yeh duniya na hogi.

Umesh Batra

ऒशॊदीप said...

यतीश जी, पोस्ट खाली रह जाती है कभी-कभी।लेकिन इस का मतलब यह नही की कोई पढ़्ता नही। कई बार आलस या किसी और कारण से कई पाठक कमैंट्स नही करते या नही कर पाते।आप लिखते रहिए हम पढ़ते हैं आपको ।

परमजीत सिहँ बाली said...

यतीश जी, पोस्ट खाली रह जाती है कभी-कभी।लेकिन इस का मतलब यह नही की कोई पढ़्ता नही। कई बार आलस या किसी और कारण से कई पाठक कमैंट्स नही करते या नही कर पाते।आप लिखते रहिए हम पढ़ते हैं आपको ।

Shastri JC Philip said...

सब दबे पाँव निकल गए आज
खाली है पोस्ट...
बोले हमारे मित्र यतीश!

मूड में हो क्या मजाक के
मान्यवर.
या यह किसी तरह का है
निराशावाद.

हम से पहले ही मिल गईं
आपको
पांच टिप्पणियां,
एवं ले लीजिये यह छटवां,
जो लिखा है हम ने
काफी लम्बा,
समझकर आपको अपना
कनिष्ट भ्राता.

सुन लें साथ में सुझावे
विपुल का,
और हटा दें हर तरह का
मॉडरेशन, जांच परख.
चाहता है हर टिप्पणीकार
आपकी कविता से पहले अपनी
टिप्पणी.
करेंगे वंचित उनको इस
सुख से,
तो आप भी रह जाओगे
दूर,
अच्छी टिप्पणियों से.

सही कहते हैं परमजीत,
कि देखते तो बहुत हैं,
लेकिन टिप्पणि के लिये
मिल पाता कहां है
हर दिन समय.
हम भी तो देख रहे हैं
चिट्ठे को आपके सुबह से,
लेकिन मिल पाया समय
सिर्फ बारह घंटे बाद.

टिप्पणी मिले या न मिले,
लिखते जायें क्योंकि
हैं पढने वाले बहुत कद्रदान आपके

-- शास्त्री जे सी फिलिप

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info

Sharma ,Amit said...

सर जी बहुत अच्छा है ! क्या करे दुनिया आलसी और जालिम है! मजे भी लेती है और दाद भी नही देती!!!

Santosh Kumar said...

बहुत खुब ध्न्यबाद

Anonymous said...

ऒशॊदीप jee jaisa hum bhi hain aur bahuton hain. apka sab rachana kabile tarif hai humlog bahut hi interest lekar padhatein hain
यतीश जी, पोस्ट खाली रह जाती है कभी-कभी।लेकिन इस का मतलब यह नही की कोई पढ़्ता नही। कई बार आलस या किसी और कारण से कई पाठक कमैंट्स नही करते या नही कर पाते।आप लिखते रहिए हम पढ़ते हैं आपको ।

Anonymous said...

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