23 June 2007

बे-आवाज़ सन्नाटा

उसने कहा
मै तुम्हारा कुछ करके जाऊंगा,
उसने कहा
मै तुम्हें उनसे मिलाउंगा,
उसने कहा
कि कल फ़ोन आयेगा तुम्हें,
उसने कहा
मुझे तेरी ज़रूरत पड़ेगी,
उसने कहा
ये करेगा,उसने कहा
वो करेगा,

लगता हैं
एक ख्वाब था
जिसमें मै
सुन रहा था।
आवाज़ कोई नही थी,
एक बे-आवाज़ सन्नाटा था,
अनसुनी यादों का,
अधूरे वादों का...

1 comment:

Udan Tashtari said...

मौन और सन्नाटों की आवाज बहुत देर तक परेशान करती हैं.