05 September 2007

द्वापर के हनुमान "उड़न तश्तरी"

कल जब सपने मे कर रहा था बलोगगीरी
तो पीछे से श्री कृष्ण की आवाज़ आयी धीरी,
मैंने देखा वो खड़े गाना सुन रहे है
एक ब्लॉग की धुन मे कुछ ढूड रहे है
गाना था तुझसे नाराज़ नही ज़िंदगी मैं
ब्लॉग था उडन तश्तरी.
मुझसे बोले क्या कष्ट है इन्हे बच्चा
ये भक्त है मेरा सच्चा
हर दुखियारे के ब्लॉग पर जाता है
सांत्वना की संजीवनी दे आता है.

मैं बोला
लोग इनके पीछे पड़े है
कुछ नही तो फोटो के पीछे अडे है
वे बोले तुम इनका कष्ट दूर करो
इनकी तस्वीर मैं जरा रंग भरो.

लोग बड़े नादान है
उन्हें जरा भी नही ये ज्ञान है
समीर (पवन) के ये लाल (पुत्र) है
द्वापर के हनुमान है
कलयुग मे
उड़न तश्तरी नाम है।


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12 comments:

Rachna Singh said...

sameer bhai
aap kae diwane bahut haen
yatish majaa aa gaya

Anonymous said...

वाह
समीर लाल उर्फ पवन पुत्र उर्फ हनुमान
बहुत खूब !!!

Sanjeet Tripathi said...

बहुत खूब!!
जियो यतीश भाई!!

अभय तिवारी said...

भई वाह.. समीर भाई को आपने ही सही पहचाना..

Reetesh Gupta said...

बहुत सुंदर ...सही कहा है आपने

बोलिये पवन पुत्र हनूमान की जय...

ePandit said...

बहुत खूब, तभी हम कहें कि वो एक चिट्ठे से दूसरे चिट्ठे तक कैसे फटाफट उड़ कर जाते हैं। :)

Udan Tashtari said...

द्वापर के हनुमान!! हा हा!!!

बहुत आभार-इसी बहाने तस्वीर तो गोरी हो गई. :)

अब हनुमान चालीसा कौन लिखेगा?? :)


सभी मित्रों का स्नेह के लिये आभार. बस यूँ ही स्नेह बनाये रखें.

अनूप शुक्ल said...

सही है। अब कोई ये न कहे समीरलाल की पूंछ कहां गयी?

Anonymous said...

@anup shukla

द्वापर sae kalyug tak ka "evolution" hae !!!!!

Yatish Jain said...

अनूप जी पूछ हो तो रही है इतनी लम्बी.

समीर जी पूछ और ज्यादा होगी तो पहले मन्दिर बलेगा फिर चालीसा भी बनजायेगा.

ghughutibasuti said...

छोड़ो पूँछ को देखो पूछ को । समीर जी से कोई पूछ की बाजी जीत सकता है क्या ?
घुघूती बासूती

Shastri JC Philip said...

समीर जी ने कठिन मेहनत के द्वारा यह स्थान हमारे दिलों में पाया है. मैं समीरजी का अभिनन्दन करता हूं -- शास्त

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